Sanchar Saathi App विवाद: भारत में ऐसा क़ानून कुछ ही देशों में, क्यों मचा हंगामा?
भारत में हाल ही में "Sanchar Saathi App" को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। सरकार ने जब यह कहा कि हर स्मार्टफोन में Sanchar Saathi को जबरदस्ती प्री-इंस्टॉल करना पड़ेगा, तो लोगों ने इसे प्राइवेसी पर हमला बताया। सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया में बहुत कम देशों में ऐसा कानून है, जहाँ सरकार फोन कंपनियों को कहे कि “हमारा सरकारी ऐप हर मोबाइल में डालो और यूज़र उसे हटाने भी न पाए।”
यूरोप, अमेरिका, कनाडा, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों में भी ऐसा अनिवार्य ऐप इंस्टॉल करना कानूनन संभव नहीं है। यूज़र की मर्जी सबसे पहले मानी जाती है। इसलिए जब भारत में Sanchar Saathi App को लेकर ऐसा आदेश आया, तो लोगों ने तुरंत सवाल उठाए।
Sanchar Saathi App क्या है?
सरल शब्दों में, Sanchar Saathi App और Sanchar Saathi Portal (sancharsaathi.gov.in) एक सरकारी सेवा है, जिसे DoT यानी Department of Telecommunications चलाता है। इसमें कई महत्वपूर्ण टूल होते हैं
सरकार का कहना था कि Sanchar Saathi App Uses लोगों को साइबर फ्रॉड से बचाने के लिए हैं। इस ऐप का मुख्य उद्देश्य है:
खोया हुआ फोन Track Lost Mobile India
फोन का IMEI ब्लॉक करना
CEIR Mobile Tracking से डिवाइस सर्च करना
TAFCOP Portal से Aadhaar पर कितने SIM लिंक हैं, देखना
फर्जी SIM और मोबाइल धोखाधड़ी रोकना
विवाद कैसे शुरू हुआ?
सरकार ने 28 नवंबर 2025 को फोन कंपनियों को आदेश दिया:
Sanchar Saathi App हर फोन में प्री-इंस्टॉल होगा।
इसे हटाया नहीं जा सकेगा।
OTA अपडेट के जरिए पुराने फोन में भी डाला जा सकता है।
यहाँ ही विवाद शुरू हो गया। लोगों को लगा कि सरकार उनके फोन के अंदर झाँकना चाहती है।
लोग और विपक्ष क्यों भड़क गए?
1. प्राइवेसी का डर
लोगों को डर था कि अगर Sanchar Saathi Mobile Tracking फीचर हर फोन में होगा और हटाया नहीं जा सकेगा, तो क्या सरकार उनकी लोकेशन, कॉल डिटेल आदि देख सकेगी?
2. दुनिया में ऐसा कानून बहुत कम जगह
अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस, नीदरलैंड, जापान — कहीं भी फोन कंपनियों को ऐसा “mandatory govt app” डालने का आदेश नहीं दिया जाता।
भारत में ऐसा आदेश इसलिए विवादित लगा।
3. Pegasus वाला मामला याद आया
विपक्ष ने कहा:
यह Pegasus 2.0 है
इससे माहौल और गर्म हो गया।
4. टेक कंपनियों का तगड़ा विरोध
Apple ने सीधे कहा — हम इस आदेश को नहीं मानेंगे।
Android कंपनियाँ भी असहज थीं, क्योंकि सिस्टम-लेवल ऐप फोन की सुरक्षा तोड़ सकता है।
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